Version Choot per rakhe hai जवानी में सं
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जवानी में संभोग हर लड़की की चाहत होती है, कोई इसे पा लेता है कोई नहीं क्यों कि ये शारीरिक जरूरत के साथ मानसिक जरूरत भी है आप किसी से प्यार करते हैं। तो उसके साथ अपने प्यार को अनंत सीमा तक ले जाने की औषधि है सेक्स
कॉलेज का वह समय मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दौर था। पढ़ाई, दोस्त और सबसे खास—राहुल। राहुल, जो सिर्फ एक नाम नहीं था, बल्कि मेरी पूरी दुनिया था। पहली बार जब उसे कैंपस में देखा, तो लगा जैसे किसी फिल्म का हीरो सामने आ खड़ा हुआ हो। आत्मविश्वास से भरा चेहरा, हर किसी की मदद को तैयार, और वह मुस्कान—जिसने मेरी हर सोच को बस उसी तक सीमित कर दिया।
धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती गई और वह दोस्ती प्यार में बदल गई। राहुल के साथ बिताया हर पल जादू जैसा था। लाइब्रेरी में घंटों पढ़ाई करना, कैंटीन में चाय की चुस्कियां लेना, और क्लास के बाद उसकी मोटरसाइकिल पर सवार होकर घर जाना—यह सब मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया था। उसने मुझसे कहा था, "सीमा, तुमसे शादी करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना है।" और मैं भी उस पर पूरी तरह यकीन करती थी।
हमारा रिश्ता इतना गहरा हो गया कि हमने हर सीमा पार कर दी। राहुल ने मुझे भरोसा दिलाया था कि वह हमेशा मेरे साथ रहेगा। उसकी बातों ने मेरे हर डर को दूर कर दिया। जब उसने मुझे इमरजेंसी पिल्स लेने को कहा, तो मैंने उसकी बात मान ली। मुझे लगा, यह सब हमारे भविष्य के लिए सही है। लेकिन उस वक्त मुझे यह एहसास नहीं था कि मैं अपनी सेहत और भविष्य के साथ कितनी बड़ी गलती कर रही हूँ।
कॉलेज खत्म हुआ, और जैसे ही मेरे घरवालों को हमारे रिश्ते का पता चला, हंगामा मच गया। मेरे माता-पिता ने राहुल को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा, "यह रिश्ता हमारे परिवार की परंपराओं के खिलाफ है।" मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन उनकी एक नहीं चली। राहुल ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया, और मैं उसके इंतजार में अकेली रह गई।
आखिरकार, मैंने हार मान ली। मेरे परिवार ने मेरी शादी अजय से तय कर दी। अजय एक अच्छे इंसान थे—संजीदा और हर तरह से सही। मैंने अपने बीते दिनों को भूलने और एक नई शुरुआत करने की कोशिश की।
शादी के बाद अजय ने मेरे लिए हर खुशी का ख्याल रखा। लेकिन मेरे दिल में राहुल की यादें अब भी ताजा थीं। मैंने अपनी पूरी कोशिश की कि इस रिश्ते को एक मौका दूं। समय बीतता गया, और जब मैंने गर्भधारण करने की कोशिश की, तो असफल रही। अजय ने डॉक्टर से मिलने का सुझाव दिया।
डॉक्टर ने जांच के बाद जो कहा, उसने मेरी दुनिया को हिला कर रख दिया। "बार-बार इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव लेने की वजह से आपकी फर्टिलिटी पर असर पड़ा है।" डॉक्टर की यह बात सुनकर मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। मैंने अजय को अपने अतीत के बारे में सबकुछ बता दिया—राहुल, मेरा प्यार, और मेरी गलतियां।
अजय ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी आंखों की खामोशी ने सबकुछ बयां कर दिया। हमारा रिश्ता अब सिर्फ एक समझौता बनकर रह गया। वह न मुझे छोड़ सका और न ही मुझे पूरी तरह अपना सका।
आज जब मैं अपने कमरे में अकेली बैठती हूँ, तो बार-बार यही सोचती हूँ—अगर मैंने राहुल के प्यार में बहकर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ न किया होता, तो शायद मेरी जिंदगी आज कुछ और होती।
यह कहानी सिर्फ मेरे जीवन की नहीं, बल्कि उन सभी के लिए एक सबक है, जो प्यार में अपनी पहचान और भविष्य को भूल जाते हैं। प्यार करना गलत नहीं है, लेकिन उसमें खुद को खो देना सबसे बड़ी भूल हो सकती है। हमेशा याद रखें, प्यार के साथ जिम्मेदारी और आत्मसम्मान भी जरूरी है। अपनी पहचान को कभी मिटने न दें।